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आज विश्व पर्यावरण दिवस ०५ जून

आज विश्व पर्यावरण दिवस ०५ जून 

                                      साल का सबसे गर्म महिना , लोग बेहाल है , 

दूर दूर तक ठंडी हवा का कही आभास  ही नहीं होता ,
                                     मिलती है तो सिर्फ शोला बदन बनाने वाली लू...............
ऐसे ही किसी मोसम को देखकर जिस तरह राजा रामचंद्र जी ने अमावस में उजाला करने क लिए दिवाली की शुरुआत की, वेसे ही किसी पर्यवारंवीद मोहल्ले में ०५ जून को बहुत से पर्यावरण विदों को यकायक हिचकी के साथ प्रकृति ने पुकारा होगा 
खेर जो भी हो ................, 
आज का दिन जशन  मनाने का दिन तो नहीं लेकिन दिलों में जशन मनाने से कम भी नहीं है . क्युकी जिसने भी जेसे भी शुरुआत  तो की थी .
मेरे मन में इतनी तशवीरतो उस व्यक्ति के लिए स्पस्ट है की जो भी हो,  लकिन वो एक सवेदनशील  इन्सान जरुर होगा . शायद मानवीय नर संहार की रुखी के प्रति उसका यह प्रयास रहा हो, लेकिन वास्तव में वो नमन योग्य पात्र  रहा है .............. 
धरती का इतिहास ही आपने आप में एक रहास्यमय घटना है.  मानव जीवन व जिव जन्तु जगत की उत्पति के बाद 
 कितनी साडी घटना  प्रति क्षण घटी रही और आज और अभी  तक हम पहुच गए .
जहा से मानव में कुछ समज बनी वही से उसने  भाषा, विचार , ज्ञान , और कला समाज का निर्माण किया .
इसी के साथ मानव ने  इतिहास लिखना शुरु किया . इतिहास में भी मानवीय जीवन  के कई रेखा चित्रों को स्पस्ट किया . जिसमे युध , अशांति , आकाल , अमानवीयता , नरसंहार , खुशहाली , गीत , उमंग - उत्सव और समाज की मान मर्यादा आदि को उल्लेखित किया .
 
हरेक घटना   के पीछे कोई न कोई कारण जरुर रहा है , ऐसे में हम बहुत पीछे राम -रावण युद्ध या महाराणा और अकबर  के हल्दी घाटी  संग्राम की और भी  ना झाके तो एक बहुत बड़ी घटना हमारे देश में घटी , वो थी  देश   की आजादी का संग्राम . 
 
यारो इतनी सारी रामायण को लिखने के पीछे मेरा मकसद यह नहीं कि आपको मालूम नहीं है और मै साक्षात् ब्रह्मा  बन आपको समझाऊ  पर............
 
समय और पारिस्थिती के आधार पर जेसे महाराणा प्रताप ने प्रतिज्ञा ली थी - मेवाड़ को अधीनता स्वीकार नहीं , जब तक मेवाड आजाद नहीं होगा तब तक महलो में नहीं रहुंगे .
 वेसे ही सुभास जी ने आपनी आजाद हिंद फोज से आव्हान किया कि तुम मुझे खून दो- मै तुम्हे आजदी दूंगा     
 
बस यही आव्हान हमे आज करना पड़ेगा कि तुम मुझे पेड़ दो - मै तुमे हरियाली दूंगा , और हरियाली ही नहीं अपितु खुशहाली दूंगा ...........
क्यूकि लड़ाई वही है
                     बस बदला है 
                                       तो कहानी का काल, परिस्थिति , पात्र, और मंचित करने का तरीका ,
                                                                                                                                 बाकि स्क्रिप्ट मै कोई हेर- फेर नहीं है ..........
 
 
गोपाल उदैपुर सु 

 

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Comment by Dr Upendra Pratap Singh Baghela on June 5, 2012 at 10:25am
wish you happy envirnment days 6june
Comment by GOPI KANTA GHOSH on June 5, 2012 at 6:13am

Right appeal...let us join hand

Comment by aanand63 on June 5, 2012 at 1:33am

I believe in the nature and always think how to sustain the same for the generation to come, let us not only take an oath for that but behave resposibly ..

 

Comment by dr. hitesh sukhwal on June 5, 2012 at 1:27am

niceappeal sir.

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